भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार के तरीके- महत्वपूर्ण 14 तरीके
नमस्कार दोस्तों Aapka School मैं अापका स्वागत है। अाज मै इस पोस्ट मे अापको भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार के तरीके के बारे में बताऊँगा।
जिस देश की शिक्षा प्रणाली उच्च कोटि की होती है, वह देश बहुत तेज गति से विकास करता है। अत; प्रत्येक देश के विकास मे उस देश की शिक्षा प्रणाली का बहुत बडा योगदान होता है।
अाज के समय मे भी भारत की शिक्षा प्रणाली बहुत अच्छी नही है। अाज के समय मे भारत की शिक्षा प्रणाली मे बहुत सी कमियाँ है जिनमे सुधार करना बहुत अावशयक है।
यदि भारत को अधित तेज गति से विकास करना है तो भारत को अपनी शिक्षा व्यवस्था को उच्च स्तर की बनानी होगी है।
भारत सरकार द्रारा भारत की शिक्षा प्रणाली मे सुधार के लिए समय-समय पर अनेक प्रोग्राम चलाये जाते है।
लेकिन इसके बाद भी भारत की शिक्षा व्यवस्था मे इतना सुधार नही हुअा है जितना होना चाहिए था।
ये कुछ तरीके हे जिनका प्रयोग करके भारत की शिक्षा प्रणाली मे सुधार किया जा सकता हैं।
1 . ग्रामीण शिक्षा मे सुधार- भारत मे ग्रामीण क्षेत्र की शिक्षा का स्तर बहुत बेकार है। भारत मे ग्रामीण क्षेत्र की शिक्षा मे सुधार की बहुत अावशयकता है। भारत सरकार को ग्रामीण क्षेत्र मे अच्छे शिक्षकों की नियुकित की जानी चाहिए। ग्रामीण शिक्षा मे सुधार किए बिना भारत की शिक्षा के स्तर को उठाया नही जा सकता है।
2. कौशल अाधारित पाठ्यक्रम- स्कूलों को परंपरागत पाठ्यक्रमों को हटाकर अब कौशल अाधारित शिक्षा देनी चाहिए। जिस छात्र की जिस भी विषय मे दिलचस्पी हो उस छात्र को उस विषय की ही शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। कौशल अाधारित शिक्षा का सबसे बडा फायदा यह होगा कि छात्र अात्मनिभर बनेगे। वेसे भारत सरकार ने भी अब अपना पूरा फोकस स्किल इंडिया प्रोग्राम पर कर रंखा है। भारत मे एेसे प्रोग्राम की बहुत अावशयकता है।
3. शिक्षक-छात्र अनुपात ठीक किया जाए- शैक्षणिक सुधार में शिक्षकों की भूमिका बहुत महत्वपूणॊ है। भारत में अधिकतम स्कूलों में एक शिक्षक 60 -70 से भी अधिक बच्चों को पढा रहा है। एेसे में शिक्षक बच्चों को पढा तो पाता नही है बस बच्चों को घेरे रहता है। भारत में शिक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए इस अनुपात को कम करना बहुत अावशयक है। एक शिक्षक 20 छात्रों को ही ठीक-ठाक पढा सकता है।
4. शिक्षक प्रशिक्षण, परीक्षण- भारत के ग्रामीण ओर शहरी शिक्षकों में बहुत बडा अन्तर पाया जाता है। सरकार को एेसे प्रोग्राम चलाने चाहिए जिससे ग्रामीण ओर शहरी शिक्षकों को साथ-साथ प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। शिक्षकों को इस प्रकार प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे वे अपने अधिकारों ओर क्तव्यों को जान सके। सरकार को शिक्षकों के प्रशिक्षण एव उनके परीक्षण की उचित व्यवस्ता करनी चाहिए।
5. शिक्षा, स्वास्थय और रोजगार प्रमुख परियोजनाएँ- भारत में स्कूलों में शिक्षा के साथ- साथ स्वास्थय और रोजगार प्रमुख परियोजनाएँ भी लागू करनी चाहिए जिससे बच्चों का पूण विकास किया जा सके। ग्रामीण क्षेत्रों मे ज्ञान का अाभाव पाया जाता है। जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों मे लोग साधनों का ठीक से प्रयोग नही कर पाते है। जिससे ग्रामीण क्षेत्रो मे प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक चिकित्सा और बुनियादी रोजगार जैसी विकट समस्याये हमेशा पाय़ी जाती है।
6. व्यावसायिक शिक्षा- स्कूलों मे अब व्यावसायिक शिक्षा को एक मुख्य विषय के रुप मे पढाया जाना चाहिए।
व्यावसायिक शिक्षा को तकनीकी शिक्षा भी कहा जाता है।
7. व्यावसयिक शिक्षा के लिए सब्सिडी और अनुदान- भारत में अधिकांश छात्र धन के अाभाव मे 10th या 12th के बाद अपनी शिक्षा को छोड देते है। अतः सरकार दा्रा एेसे छात्रों के लिए सब्सिडी और अनुदान की उचित व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे कोई भी गरीब छात्र अपनी पढाई को बीच मे ना छोड सके।
8. निःशुल्क बेसिक कंप्यूटर शिक्षा- अाज का युग कंप्यूटर एव सूचना प्रघोंगिकि का युग है। अाज के समय मे प्रत्येक छात्र को बेसिक कंप्यूटर की जानकारी होना बहुत अावशयक है। अाज के समय मे हर क्षेत्र मे कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा है। अतः सरकार को प्रत्येक स्कूल मे निःशुल्क बेसिक कंप्यूटर शिक्षा की उप्य़ुकत व्यवस्था करनी चाहिए।
9. अभिभावकोंं को जागरुक करना- अभिभावक जागरुक रहे तभी बच्चों की शैक्षिक प्रगति सम्भव है। सरकार को अभिभावकों को जागरुक करने के लिए भी प्रग्राम चलाने चाहिए। अभिभावक जागरुक हो एव शिक्षक के प्रति स्नेह हो तो स्कूल का विकास सम्भव है।
10. स्माट क्लास- भारत सरकार को सभी स्कूलों मे स्माट क्लास की व्यवस्था अपनाना चाहिए। जिससे स्कूलों में छात्र बोर न हों, तेजी से सीखें और अाधुनिक तकनीक से रु-ब-रु हो सकें। स्माट क्लास में बच्चें बहुत तेज गति से सिखते है।
11. राष्टृीय अाय का एक निशिचत भाग शिक्षा पर व्यय किया जाना चाहिएँ- प्रत्येक देश का विकास उस देश के नागरिकों की शिक्षा के स्तर पर बहुत अधिक निभ्रर करता हैं। इसलिए विकसित देशों मे अविकसित देशों की तुलना मे शिक्षा पर अधिक व्यय किया जाता हैं। अत: यदि भारत को अपनी शिक्षा के स्तर को उपर उठाना है तो भारत को अपनी राष्टृीय अाय का एक निशिचत भाग शिक्षा पर व्यय करना होगा।
12. सस्ती पुस्तकों के गुण व उत्पादन में सुधार- भारत में शिक्षा स्तर मे सुधार करने के लिए, अच्छी पुस्तकों का प्रसार-प्रचार करना होगा अौर स्कूलो मे अच्छी अोर सस्ती पुस्तकें उपलब्ध करानी होगी। अौर पुस्तकों के गुण व उत्पादन में सुधार करना होगा।
11. राष्टृीय अाय का एक निशिचत भाग शिक्षा पर व्यय किया जाना चाहिएँ- प्रत्येक देश का विकास उस देश के नागरिकों की शिक्षा के स्तर पर बहुत अधिक निभ्रर करता हैं। इसलिए विकसित देशों मे अविकसित देशों की तुलना मे शिक्षा पर अधिक व्यय किया जाता हैं। अत: यदि भारत को अपनी शिक्षा के स्तर को उपर उठाना है तो भारत को अपनी राष्टृीय अाय का एक निशिचत भाग शिक्षा पर व्यय करना होगा।
12. सस्ती पुस्तकों के गुण व उत्पादन में सुधार- भारत में शिक्षा स्तर मे सुधार करने के लिए, अच्छी पुस्तकों का प्रसार-प्रचार करना होगा अौर स्कूलो मे अच्छी अोर सस्ती पुस्तकें उपलब्ध करानी होगी। अौर पुस्तकों के गुण व उत्पादन में सुधार करना होगा।
13. ई-पुस्तकालय- अाज के समय में ई-पुस्तकालय बहुत महत्वपूण है। ई-पुस्तकालय से छात्र कभी भी और कही भी पुस्तकों एव अावशयक अध्धयन सामग्री तक पहुच सकते है और उन्हें पढ सकते है।
14. खेल को महत्व- स्कूलों शिक्षा के साथ-साथ खेल को भी महत्व दिया जाना चाहिए। क्योंकि खेल हमारे जीवन का एक एहम हिस्सा है। खेल हमारे शारीरिक एव मानसिक दोनो ही विकास का श्रोत है। खेल बच्चों का दिमागी विकास करने में लाभकारी है। अतः प्रत्येक स्कूल में खेलों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
ये पोस्ट अापको केसी लगी हमें कामेंट करके अावशय बताये। और हमें अपने सुझाव दें।
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जवाब देंहटाएंसरकार की मनसा सरकारी शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की होती तो अभी तक सुधर गया होता,
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